आपने भोजपत्र का नाम तो सुना ही होगा जिस भोज पत्र Bhojpatra पर भारतीय इतिहास के विभिन्न ग्रन्थ व उपनिषद लिखे गये है और जिसे हिन्दु धर्म मे पवित्र माना जाता है। पूजा स्थल पर रख कर भोज पत्र की पुजा भी की जाती है, लेकिन आज वो भोज पत्र विलुप्ति की कगार पर है। क्या है वजह…? पढिये……..

भारतीय इतिहास व हिन्दू रिति-रिवाजों मे भोज पत्र को पूजा जाता है। कारण यह की भोज पत्र मे देवी-देवाताओ व ऋषि-मुनियों ने भारत के प्राचीन इतिहास को भोज पत्र पर उकेरा था। आज उस भोज पत्र पर एक कीडे ने हमला किया है। इस कीडे की प्रजाती ने भोज पत्र की आधे से अधिक आबादी को अपना शिकार बना लिया है। दरअसल यह कीडा भोज पत्र पर ही जन्म ले रहा है और धीरे-धीरे भोज पत्र के पेड को नष्ट कर दे रहा है। इस कीडे का जन्तु वैज्ञानिक नाम हर्बी बोडो है और ये दानव एक छोटा सा कीडा है जो धीरे-धीरे भोजपत्र को तबाह करने मे तुला हुआ है। भोज पत्र उत्तराखण्ड की 32 सौ से 5 हजार तक के ऊचांई वाले इलाकों मे पाया जाता है। उत्तराखण्ड के टिम्बर एलपाइन जोन से लेकर निति माना वेली मे भोज पत्र के जंगल पाये जाते थे। लेकिन ये वृक्ष आज विलुप्ती की कगार पर है।
एक शोध के अनुसार 1989 से सस्थान के वैज्ञानिक भोज पत्र पर अध्ययन कर रहे है, लेकिन अध्ययन मे पता चला कि कुछ वर्षाे मे भोज पत्र हर्बी बोडो नाम के कीडे का शिकार बन रहा है और अब विलुप्ती की कगार पर है ।
वहीं वैज्ञानिको का कहना है कि इस कीडे का जन्म भी हालिया वर्षाे मे हुआ है। कीडे के जन्म के पीछे का कारण वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिग को बता रहे है। वैज्ञानिको का कहना है की अब 32 सौ से 5 हजार फिट के ऊंचाई वाले इलाको मे अब गर्मी बढने लगी है जो इस कीड़े को जन्म दे रही है।
गढवाल गढवाल विश्वविद्यालय Garhwal University के वनस्पती विज्ञान के प्रोफेसर व छात्रो का भी कहना है की अगर भोज पत्र को बचाना है तो भोज पत्र को उसी रेंज में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में उगाना होगा। अगर लगातार इन क्षेत्रो मे गर्मी बढती रही है तो भोज पत्र का अस्तित्व ही दूनिया से ही मिट जाएगा और अपने मे इतिहास समेटी भोज पत्र खुद एक इतिहास बनकर रह जायेगा।