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जब मैं गढ़वाली गीत गाता था तो लोग कहते थे, क्या रखा है गढ़वाली गीतों में – नरेन्द्र सिंह नेगी, गढ़वाल विवि में गढ़वाली विषय पर कार्यशाला का आयोजन।

Jul 30, 2022
narendra singh negi
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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय HNB Garhwal Central University द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर मातृभाषा गढ़वाली पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो एमएस नेगी, प्रो डीआर पुरोहित, मुख्य नियंता प्रो बीपी नैथानी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

विश्वविद्यालय की भाषा प्रयोगशाला (लैंग्वेज लैब) द्वारा मातृभाषा गढ़वाली पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। शैक्षणिक क्रियाकलाप केन्द्र चौरास परिसर में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी,  अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो एमएस नेगी, प्रो डीआर पुरोहित, मुख्य नियंता प्रो बीपी नैथानी  ने दीपप्रज्वलित कर किया। आयोजित  कार्यशाला में ‘‘गढ़वाली की भाषिक परंपरा एवं चुनौतियां‘‘ विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी। कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने आयोजन के लिए सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होनें कहा कि विश्वविद्यालय की भाषा प्रयोगशाला का उद्देश्य विभिन्न भाषाओं को शिक्षा से जोड़ना है। जिसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं।  

बतौर मुख्य वक्ता नरेंद्र सिंह नेगी Folk Singer Narendra Singh Negi ने कहा कि-

हमारे लिए ये बहुत खुशी की बात है कि गढ़वाल विवि द्वारा गढ़वाली भाषा के लिए कार्य किया जा रहा है और उम्मीद की जा सकती है कि वह गढ़वाली भाषा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहां कि जब मैं गढ़वाली गीत गाता था तो अक्सर लोग कहते थे, कि गढ़वाली गीतों में क्या रखा है..? फिल्मी गीत गा, लेकिन तब मैंने उन लोगों की ओर ध्यान नहीं दिया। आज गढ़वाली भाषा को एक नई पहचान मिल रही है और इसमें परिवर्तन आ रहा है। यहीं कारण है कि आज विश्व भर से शोधार्थी शोध के लिए यहां आते है और हमें अमेरिका, कनाड़ा जैसे देशों में गढ़वाली गाना गाने के लिए बुलाया जाता है।आज गढ़वाली भाषा का प्रचार प्रसार तेजी से हो रहा है और युवा पीढ़ी को इसकी ओर जागरूकता के लिए कार्य करने की जरूरत है।

लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी को स्मृती चिन्ह् भेट करते प्रो0 एमएस नेगी
लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी को स्मृती चिन्ह् भेट करते प्रो0 एमएस नेगी

कार्यशाला में मौजूद प्रो.डी आर परोहित ने कहां कि गढ़वाली भाषा में अब तक 15 हजार से ज्यादा साहित्य छप चुका है। इसके अलावा कई गढ़वाली, कुमाउनी,जौनसारी भाषा डिक्शनरी अब तक मौजूद है। साथ ही आज के समय में जो कुछ भी गढ़वाली भाषा में लिखा जा रहा है वो सब हमारी भाषा की एक उपलब्धि है। जिसके लिए युवाओं को लगातार कार्य करना होगा। उन्होंने कहां की अंग्रेजी भाषी लोग गढ़वाली भाषा को देश विदेशों तक और तीव्र गति से पहुँचा सकते है।
इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो महावीर सिंह नेगी ने अपने स्वागत सम्बोधन में सभी अथितियों का स्वागत किया तथा अपने सम्बोधन में कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। निश्चित रूप से गढ़वाली भाषा के लिए यह कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होनें बताया कि कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के अथक प्रयासों से विश्वविद्यालय में लैंग्वेज लैब की स्थापना हो पाई है।

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