बाल रोग विभाग में विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह का शुभारंभ
एक सप्ताह तक मेडिकल कॉलेज में स्तनपान संबंधी विभिन्न कार्यक्रम होंगे आयोजित
श्रीनगर। बेस चिकित्सालय में बाल रोग विभाग के तत्वावधान में विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह का शुभारंभ हुआ। जिसमें अस्पताल में जन्में बच्चों को स्तनपान कराने के संदर्भ में बाल रोग विभाग के डॉक्टरों द्वारा महिलाओं को जानकारी दी गई। जबकि महिलाओं को स्तनपान कराने से शिशुओं में होने वाले फायदे बताये गये। जिसमें अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंची बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रही।
विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य डॉ. चन्द्रमोहन सिंह रावत ने बताया कि –
स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना ही स्तनपान दिवस सप्ताह का मुख्य उद्देश्य है। स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। मां के दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता और रोगों से बचाने तथा वृद्धि अच्छे से होती है। साथ ही बच्चा स्तनपान कराने से स्वस्थ्य रहता है, जिससे बच्चे की माता-पिता दोनो बच्चे के बेहतर स्वस्थ्य रहने से अस्पताल जाने की झंझट नहीं होती है। जिससे परिवार आर्थिक नुकसान से भी बचता है।
बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास कुमार राठौर ने कहा कि स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वाभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताऐं कराती हैं, परन्तु पहली बार माँ बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्तनपान से बच्चे के इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिलने, शिशु मृत्यु दर को कम करने के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण श्वसन पथ के संक्रमण, मधुमेह, एलर्जी रोगों जैसे संक्रमणों और बचपन में होने वाले ल्यूकेमिया के विकास के जोखिम को कम करता है। विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. तृप्ति श्रीवास्वत ने कहा कि बच्चा इस तरह माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है। माँ का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लीवर (यकृत) का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। इसलिए माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है। इस मौके पर डॉ. अशोक कुमार, पीजी छात्र डॉ. सूरज, डॉ. जीतेन्द्र, डॉ. नाव्या, डॉ. रूचिका, डॉ. संजय, डॉ. माधवी, काउंसलर विजयलक्ष्मी उनियाल, रूचि, कैलाश, मनमोहन सिंह, गीता, संतोषी उपस्थित थी।