गैरसैण गैरसैंण में बीते दिनों भारी बारिश के बाद तबाही का मंजर देखने को मिला था। यहॉ गाड़ गदेरों के उफान पर होने के चलते भारी नुकसान हुआ था साथ ही कई आवासीय भवनों में मलबा घुस गया था। जिसके बाद मुआवजे को लेकर एक विवाद यहाफ उपज गया है। विवाद मुआवजा न दिये या न दिए जाने को लेकर है। जहॉ एक व्यक्ति सोशल मीडिया के जरिए मलबा आने सो क्षतिग्रस्त हुए एक भवन केे आवासीय भवन न होने की बात कह रहा है तो वहीं अब भवन स्वामी का बयान भी सामने आया है। उन्होनें कहा कि यह एक आवासीय भवन है व यहॉ एक परिवार निवास करता है।
दरअसल पूरा मामला गैरसैण क्षेत्र के आगर चट्टी का है यहॉ विगत दिनों हुए बारिश के कारण आए मलबे से कई आवासीय मकानों को भारी क्षति पहुंची थी। स्थानीय जनप्रतिनिधि बलवीर सिंह रावत का कहना है कि कुछ लोग जानबूझकर राजनीतिक कारणों से इस प्रकार का आरोप लगा रहे हैं कि यहॉ आवासीय भवन नहीं है।
साथ ही प्रशासन पर भी दबाव डाल रहे है कि उनके मकान का मुआवजा ना दिया जाए। जबकि उनका कहना है कि उन्होंने अपने ही क्षेत्र की एक गरीब महिला को उस मकान पर रहने के लिए दिया था और इसी तबाही में उक्त महिला का सामान भी वहां से बह गया। वही बलवीर सिंह रावत का कहना है कि प्रशासन द्वारा जो मुझे पूर्व में राहत राशि दी गई वह भी मेरे द्वारा उक्त परिवार को दिया गया और अभी भी इस भवन का निर्माण हम उन्हीं के लिए करवा रहे हैं। लेकिन खुद को पत्रकार कहने वाला व्यक्ति राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते इस प्रकार की बयान बाजी कर रहा है।
उक्त व्यक्ति सोशल मीडिया पर फेसबुक पेज के बहाने लगातार इस प्रकार की बातें कर रहा है कि क्षेत्र में कई मकान आवासीय मकान नहीं है। जबकि उक्त क्षेत्र में जिन मकानों को नुकसान हुआ है प्रशासन पूर्व में भी उनका निरीक्षण कर चुका है। मकान में रहने वाली महिला संगीता बिष्ट का कहना था कि मैं अपने परिवार के साथ यहीं पर रहा करती थी जहां की एक कमरे में वह खुद और दूसरे कमरे में उनके मवेशी रहते थे। कहा कि,यह सरासर झूठ है कि यह मकान आवासीय नहीं है, जबकि हम यही पर रह रहे थे और इस बात की गवाह यहां के क्षेत्रीय जनता है।