श्रीनगर। सेव द हिमालयन मूवमेंट एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र द्वारा शाश्वत धाम लक्ष्मोली में हिमालय दिवस के अवसर पर चिंतन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने कहा कि आज जितनी तेजी के साथ पृथ्वी पर तापमान बढ़ता जा रहा है, उसने सतत रहे मौसम को बिगाड़ दिया है। अतिवृष्टि, अनावृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, सुनामी, सूखा, बादल फटना आदि ने जल संकट, मृदा संकट, कृषि संकट, जन धन हानि का संकट खड़ा कर दिया है। यदि हम अभी भी नहीं समझे तो आने वाली पीढ़ी को अनेकों संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
सेव द हिमालयन मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा की धरती हम सब की एक साझी विरासत है पृथ्वी को बचाए जाना जीवन के लिए अति आवश्यक है। इसलिए उसने हम सब पृथ्वी वासियों को जीवन जीने के अवसर प्रदान किए हैं। रतूड़ी ने कहा यदि हिमालय सुरक्षित रहेगा तो पूरा विश्व सुरक्षित रहेगा। पानी को लेकर संकट के विषय पर विश्व भर में चल चिंता का भी हल हिमालय संरक्षण ही है। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डा. अरविंद दरमोडा ने कहा कि करोड़ों वर्षों से पृथ्वी में परिवर्तन होते रहे है। प्रकृति में परिवर्तन एक सतत चलने वाली क्रिया है, परंतु आज तीव्र गति से प्रकृति में परिवर्तन होते रहे है वह मानवीय क्रियाकलापों का ही परिणाम है। गढ़ भोज आंदोलन से जुड़े शिक्षक जयप्रकाश कृथवाल ने कहा कि पहले मानव प्रकृति के नियमों के अनुसार चल रहा था, किंतु आज प्रकृति व मानव के मध्य एक असंतुलन आ चुका है। जलवायु परिवर्तन इसी का परिणाम है। कार्यक्रम में शाश्वत धाम समिति के सचिव स्वामी सत्यानंद जी महाराज, आलोक कुमार, डा. श्रीराम रतूड़ी, राकेश ने भी हिमालय की संवेदनशीलता को देखते हुए विश्व की मजबूती के लिए सब को सामूहिक रूप से कार्य करने की बात कही।