कहते हैं जाको राखे साईयां
मार सके न कोए
जब एक मॉ अपने बच्चों के लिए लड़ती है तो मौत को भी झुक कर हार मानना पड़ता है। तस्वीरें है पौड़ी जिले के बिरोंखाल क्षेत्र की। यहॉ सिमडी में बारातियों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें 32 लोगों की मौत हो गई। हादसे में दुल्हे के कई सगे संबधियों नाते रिशतेदारों ने भी दम तौड़ दिया।
हादसा इतना दर्दनाक था कि कई घर के चिराग हमेशा के लिए बुझ गये। रात के अंधेरे में यहॉ मौत का जो तांडव हुआ उसके गवाह कई हैं। लेकिन मौत को 12 घण्टों तक मात देने वाली दिव्यांशी व गुडिया के संघर्ष और नये जीवन की कहानी जब भी कही जायेगी तो दिव्यांशी की मॉ गुडिया मॉ नाम जरूर सम्मान से लिया जायेगा। आखिर अपनी जिन्दगी देकर अपनी बेटी को जो बचा गयी गुडिया।
कहते हैं मॉ की ममता और मॉ का आर्शिवाद आपको किसी भी कष्ट से दूर कर सकती है। इसकी बानगी बिरोखाल के सिमड़ी में हुए बस हादसे में देखने को मिलती है। यहॉ बस दुर्घटना के 12 घण्टे बाद एक नन्ही बच्ची अपनी मृत मॉ से लिपटी मिली। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं था। दरअसल जब बस अनियंत्रित होकर खाई में गिरी होगी तो उस दौरान दिव्यांशी की मॉ गुडिया ने दिव्यांशी को खुद से अलग नहीं होने दिया। और अपनी दो साल की बेटी को अपने पास सुरक्षित रखने के लिए उसे अंतिम सांस तक एक सुरक्षा कवच की तरह उसकी रक्षा की। और जब रात बीतने के बाद अगले दिन सुबह रेस्क्यू में जुटे जवान मौके पर पहुॅचे तो जो नजारा उन्होनें देखा वो किसी चमत्कार से कम नहीं था। यहॉ दिव्यांषी की मॉ गुडिया मृत अवस्था में थी लेकिन वह अपनी 2 साल की बेटी को जीवन दे गई। अब हर किसी की जुबान पर गुडिया के किस्से हैं।
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