मनोज उनियाल
श्रीनगर। राजकीय उप जिला चिकित्सालय श्रीनगर में बिना किसी ठोस वजह के एक डॉक्टर को उसका ओपीडी कक्ष खाली करने के आदेश दे दिए गए। जिसके बाद डॉक्टर ने अस्पताल प्रशासन पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अस्पताल के बाहर ही बेंच पर बैठकर अपने मरीजों को देखने में जुट गए।
बताते चलें कि इमरजेंसी मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ.अंकित गैरोला पिछले एक साल से अस्पताल के कक्ष संख्या 10 में मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे। 13 दिसंबर को अचानक उन्हें मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय से एक पत्र थमा दिया जाता है कि अब इस कक्ष में ईएनटी सर्जन द्वारा ओपीडी संचालित की जाएगी। बिना किसी ठोस वजह और अचानक से मिले इस आदेश से डॉ.अंकित गैरोला सकते में आ गए। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि बारह बारह घंटे तक मुझ से काम लिया जा रहा है। मेरी नियुक्ति आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञ के तौर पर हुई थी। फिर मुझे ओपीडी मैं नियुक्त कर दिया जाता जाता है। फिर एक साल बाद मुझे अपना ओपीडी कक्ष खाली करने और वापस इमरजेंसी में ड्यूटी करने के आदेश दे दिए जाते हैं। पिछले 1 साल से मैं ओपीडी में मरीजों को देख रहा हूं। प्रत्येक दिन 80 से 100 मरीजों को मैं देखता हूं। कई मरीजों का इलाज मेरे अंडर में चल रहा है। मैंने अपने मरीजों के साथ कुछ कमिटमेंट किया हुआ है। एकदम से मैं उन मरीजों को छोड़ नहीं सकता। जो दवाइयां चल रही हैं उनका प्रभाव कुछ समय तक देखा जाता है कि वह सही काम कर रही हैं या नहीं। इस स्थिति में मरीज का ही अहित होगा। इस स्थिति में मैं रिजाइन करने की सोच रहा था। लेकिन सोचा कि रिजाइन करने से पहले मुझे भी अपनी बात सबके समक्ष रखनी चाहिए। चिकित्सालय पहुंचे कोलटा निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग रमेश चंद्र ने बताया कि उनका इलाज डॉक्टर अंकित गैरोला के अंडर में चल रहा है वह पिछले 3 दिनों से डॉक्टर को ढूंढ रहे थे। उनके नहीं मिलने पर वह बार बार वापस लौट रहे थे। आज मिलने पर उन्होंने अपना चेकअप करवाया। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने कहा कि पहाड़ में इमरजेंसी के विशेषज्ञ चिकित्सकों की बहुत कमी है। अस्पताल के अंदर यह सब होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर ऐसी स्थिति में डॉक्टर रिजाइन करते हैं तो यह पहाड़ के लिए बड़ी क्षति होगी। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। स्थानीय निवासी सूर्य प्रकाश नौटियाल का कहना है कि पहाड़ के सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी के विशेषज्ञ डॉक्टर हैं ही नहीं। ऐसे कुशल विशेषज्ञ डॉक्टर को रिजाइन से बचाने के लिए अस्पताल प्रबंधन को ठोस कदम उठाने चाहिए। वहीं पूरे मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि अस्पताल में ओपीडी कक्ष की कमी है। नये ईएनटी विशेषज्ञ ने अस्पताल में तैनाती ली है ऐसे में उन्हें कक्ष देना पडा। डॉ अंकित गैरोला पहले एमरजेंसी में तैनात थे लिहाजा उन्हें दुबारा एमरजेंसी में ही तैनाती के निर्देश जारी किये गये थे। वहीं चिकित्सक द्वारा अस्पताल के बाहर ओपीडी लगाये जाने को अस्पताल प्रशासन नियम विरूद्व बता रहा है।
पहाड़ के लिए क्यों जरूरी है डॉ.अंकित?
श्रीनगर। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण अक्सर यहां दुर्घटनाओं का भय हमेशा बना रहता है। इस स्थिति में इमरजेंसी चिकित्सा विशेषज्ञ का होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही हार्ट अटैक लकवा आदि की इमरजेंसी होने पर भी तत्काल इमरजेंसी चिकित्सा विशेषज्ञ की जरूरत पड़ती है। ऐसे में इमरजेंसी मेडिकल स्पेशलिस्ट होने पर शुरू के 2 से 5 मिनट के अंदर रोगी की जान बचा ली जाती है। डॉ. अंकित गैरोला फॉर्टिस हॉस्पिटल मोहाली से पीजी किए हुए हैं और विभिन्न अस्पतालों में इमरजेंसी स्पेशलिस्ट के तौर पर सेवा देने का अनुभव उन्हें प्राप्त है। इस दौरान उन्होंने अनेकों क्रिटिकल मरीज देखे हैं।
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