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नया जोशीमठ बसाने की आवश्यकता अभी नहीं, प्रदेश में संचालित बड़ी परियोजनाओं पर कही बड़ी बात

Jan 17, 2023
नया जोशीमठ बसाने की आवश्यकता अभी नहीं
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नया जोशीमठ बसाने की आवश्यकता अभी नहीं,

प्रदेश में संचालित बड़ी परियोजनाओं पर कही बड़ी बात

किसान नेता भोपाल चोधरी के घर पहुॅचे शंकराचार्य

श्रीनगर गढ़वाल। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीनगर गढ़वाल पहुॅचे। यहॉ उन्होनें बताया कि जोशीमठ को बचाने के लिए आध्यात्मिक तरीका भी अपनाया जा रहा है। आगामी 100 दिनों तक जोशीमगठ में धार्मिक अनुष्ठान किये जायेंगे। वहीं इस दौरान उन्होनें देवभूमि में चल रहे बड़ी परियोजनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया।
सोमवार देर साम शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीनगर गढ़वाल पहुॅचे। यहॉ उन्होनें किसान नेता भोपाल चौधरी के घर में रात्री प्रवास किया। इस दौरान उन्होनें भक्तों को आर्शिवाद भी दिया। मंगलवार सुबह पत्रकारों से वार्ता के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि वें जोशीमठ क्षेत्र में लोगों की पीड़ा देख कर आ रहे हैं। प्रशासन द्वारा जोशीमठ के प्रभावितों को घर से निकाल कर शेल्टर में रखा गया है। लेकिन जहॉ इन राहत शिविरों है वह क्षेत्र भी प्रभावित है। ऐसे में यह जोशीमठ के लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।

नया जोशीमठ बसाने की आवश्यकता नहीं !
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि इतनी जल्दी यह फैसला लेना कि नया जोशीमठ बसाया जाये, इसकी आवश्यकता नही है। जिन्हें जोश्ीमठ से जाना है उनके लिए सरकार को निति बनानी चाहिए, जो यहीं रहना चाहते हैं उन्हें उनके लिए उपाय खेाजने की जरूरत है।

विधि-विधान के साथ खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट।
चारधाम यात्रा को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि विधि विधान के साथ यात्रा शुरू होगी ओर संकट की कैसी भी घड़ी क्यूं न हो रास्ता खोज लिया जायेगा। पौराणिक समय से इतिहास रहा है कि कई मुसीबतें आई लेकिर्न इेश्वर ने हमेशा साथ दिया।

पत्रकारों से वार्ता करते शंकराचार्य
 पत्रकारों से वार्ता करते शंकराचार्य

देवभूमि में चल रही बड़ी परियोजनायें विनाश की वजह !
जोशीमठ के अलावा गढ़वाल क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं के कारण पड़ रही दरारों पर भी शंकराचार्य ने कहा कि अनियोजित विकास के कारण इस तरह के हालात उत्तराखण्ड़ में पैदा हो गये हैं। जरूरत है कि विकास परियोजनाओं का आकलन किया जाये उसके बाद उन्हें पहाड़ों में शुरू किया जाये। परियोजना पूर्ण करने के चलते बिना किसी मानकों को पूरा किये निर्माण कार्य चल रहा है। जो तबाही के संकेत दे रही है। भ्रष्ट अधिकारियों की संलिप्तता भी इसमें है।

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