हिमालय एशिया महाद्वीप के हृदय में अवस्थित : प्रो. पाठक
हिमालय केंद्रित नीतियों की आवश्यकता पर दिया जोर
हिमाचल प्रदेश की तरह मजबूत भू-कानून हो लागू
श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के ओर से हिमालय और उप हिमालय क्षेत्रों में विकास और राजनीति : संबंधों और संभावनाओं की खोज विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में हिमालय के संसाधनों, ग्लेशियरों, पर्वतों आदि के बारे में जानकारी दी गई। शुक्रवार को चौरास स्थित स्वामी मनमंथन प्रेक्षागृह में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता पहुंचे इतिहासकार ओर लेखक प्रो. शेखर पाठक ने कहा कि हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में नहीं है बल्कि एशिया महाद्वीप के हृदय में अवस्थित है।
उन्होंने हिमालय से निकलने वाली नदियों, ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिंधु आदि के बारे से विस्तार से बताया। उन्होंने हिमालय क्षेत्र की हिन्दू ,बौद्ध धर्मों में वर्णित मायथोलॉजीकल महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि भूमि है, जबकि उत्तराखंड राज्य में सिर्फ 5 प्रतिशत ही इस प्रकार की भूमि है। इसके लिए उन्होंने पड़ोसी राज्य हिमांचल प्रदेश की तरह मजबूत भू-कानून की वकालत की।

राष्ट्रीय फोरेंसिक साइंस विश्व विद्यालय त्रिपुरा प्रो. केएन जेना ने कहा कि कश्मीर से लेकर अरूणांचल प्रदेश तक अनेक प्रकार से अलग है। जिसे संवेदनशीलता के साथ संभालने की आवश्यकता थी, लेकिन यहां चलने वाली योजनाएं मुंबई के लिए बनने वाली योजनाएं जैसी है। जिसने इस हिमालयी क्षेत्र में विनाश की गतिशीलता को बढ़ा दिया है। हिमालय क्षेत्रों में भौगोलिक विविधताएँ होने के बावजूद पूरे देश के लिए एक जैसी नीतियां नहीं बल्कि हिमालय केंद्रित नीतियों की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़वाल विवि कि कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थान होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज की बाहरी के लिए ओर उसके विकास के लिए शोध प्रस्तुत करें। जिसे राजनीति विज्ञान विभाग अपनी जिम्मेदारी के रूप में पूर्ण कर रहा है।
इस मौके पर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल, मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. हिमांशु बौढ़ाई, रेल विकास निगम लि. परियोजना प्रबंधक अजीत यादव ने व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में डा. राकेश नेगी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन डा. नरेश कुमार ओर विदुषी डोभाल ने किया। इस मौके पर प्रो. आरएस भाकुनी, प्रो. राजेश पालीवाल, प्रो. राकेश काला, प्रो. मनमोहन सिंह नेगी, प्रो. राकेश लखेड़ा, प्रो. सुनील खोसला, प्रो. किरण डंगवाल, प्रो. मोनिका गुप्ता, प्रो. विनोद नॉटियाल, प्रो. आरएस दलाल, प्रो. हरीश आदि मौजूद थे।