श्रीनगर गढ़वाल : गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिकों के हाथ बड़ी सफलता हाथ लगी है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने दुनिया मे पहली बार चिंट्टी का 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना जीवाश्म खोज निकाला है। वेज्ञानिकों को ये जीवाश्म राजस्थान के बीकानेर की खदानों से प्राप्त हुआ है, ये जीवाश्म वेज्ञानिको को लार्वा के रूप में मिला। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी चिंटी का इतना पुराना लार्वा वैज्ञानिक के हाथ लगा हो
अब वैज्ञानिक मिले लार्वा का अध्यन वर्तमान में मिलने वाली इसी प्रजाती के चीटियों से करेगे ओर उनके कर्मिक विकास के बारे में डीप स्टडी करेगे। जिससे भविष्य की नई खोजो के करने में भी वेज्ञानिकों को सफलता मिल सकेगी। शोध के दौरान चिंटी का लार्वा बीकानेर की भूरा की खदानों में मिला जिसके अध्यन के लिए रूस के वैज्ञानिकों की भी सहायता ली गयी। मिले लार्वा का साइज 2 एमएम के बराबर है जो फ्रेश वाटर में खोजा गया पहला जीवाश्म बताया जा रहा है। इससे पहले कभी भी फ्रेश वाटर में लार्वा नही मिले है। विश्व भर में भी चिंटी के फोसिल जर्मनी और म्यांमार में मिले है लेकिन चिंटी के कर्मिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला लार्वा पहली बार डिटेक्ट किया गया है। वैज्ञनिको ने बताया कि ये इल्मीडी फेमिली का है जिसकी दो फेमिली ही पृथ्वी में निवास करती है।
गढ़वाल केन्द्रीय विवि के जियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेन्द्र राणा ने बताया कि ये पहली बार हुआ है कि चिंटी का लार्वा मिला हो जो 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना है। उन्होनें बताया कि इसका अद्द्ध्यन किया जा रहा है, मिले जीवाश्म की लंबाई 2 एमएम की हैं ये जीवाश्म चिट्टी के क्रमिक विकास के चक्र को समझने में मददगार सिद्ध होगा । उन्होंने बताया कि लंबाई की दृष्टि से कोई अंतर अब की चिंटी ओर मिले जीवाश्म के लार्वा में अंतर नही है लेकिन पैरों की बनावट में अंतर देखा गया है मिले लार्वा के पैर बड़े दिखाई पड़ रहे है, जो रोचक है।