पिथौरागढ़। जनपद के धारचूला क्षेत्र में चीन सीमा से सटे उच्च हिमालयी गांवों में शादियों को लेकर कई तरह के नियम लागू किए गए हैं। इन नए नियमों में सबसे बड़ा फैसला महिला बारातियों के जाने पर पाबंदी लगाया जाना है।
दरअसल ग्रामीणों का तर्क है कि शादी समारोह में स्थानीय परंपराओं की अवहेलना और बाहरी परंपराओं के समावेश चिंता का विषय बना हुआ है। जिसके कारण नए नियम बनाए गए हैं। इसमें शादी समारोह में शराब पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा हल्दी रस्म पूरी तरह समाप्त की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि लड़की की शादी में केवल दुल्हन के पिता मात्र दूल्हे को पगड़ी पहनाएंगे और दूल्हे पक्ष से एक पगड़ी दुल्हन के पिता और एक पगड़ी दुल्हन के बड़े मामा को दी जाएगी। मेहंदी रस्म केवल लड़की पक्ष वाले ही करेंगे।
चीन सीमा से सटे नाबी गांव के ग्रामीणों ने शादियों में नए नियम लागू किए गए हैं। इन गांवों में शादियों में लागू किए गए नए नियम कुछ इस तरह हैं।
विवाह कार्यक्रम में दिन के खाने का समय दोपहर 12 से सायं चार बजे तक का ही होगा।
पांचों गांवों में विवाह में बजने वाला म्यूजिक सिस्टम शादी व मेहंदी में केवल चार घंटे सायं 6 से 10 बजे तक ही बजेगा।
इसके अलावा दूसरे, तीसरे दिन केवल दो घंटे ही डीजे बजेगा।
जिस गांव में बारात जा रही है वहॉ चौमे रिस्म्या गांव की बेटियां ही चाय-पानी के लिए बुला सकती हैं। इसमें बारातियों द्वारा साढ़े पांच हजार का शुगन दिया जाएगा। लड़की के विवाह में मांग भराई रस्म में औरतों के जाने की मनाही रहेगी। केवल दुल्हन की बहनें, सहेलियां और दूल्हे के भाई और दोस्त रहेंगे। नियमों का पालन नहीं करने वालों पर साढ़े पांच हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। नाबी के साथ ही गुंजी, नपलच्यु, रोंगकोंग और कुटी ग्राम पंचायतों ने भी इन नियमों पर स्वीकृति की मुहर लगा दी है।
अब हर हाल में दुल्हन के घर से बरात सायं पांच बजे से पहले विदा हो जाएगी।
जुर्माना वसूलने वालों के साथ अभद्रता करने पर उस परिवार का पांच ग्राम पंचायत और व्यास ऋषि मेला समिति द्वारा सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। यह नियम एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे।