रिपोर्टर-रोबिन मल्ल
श्रीनगर गढवाल यू ही उत्तराखण्ड को देवभूमि नही कहा जाता यहा अलग अलग प्रकार की परंपराए और मान्यताए प्रचलित है
उत्तराखण्ड श्रीनगर गढवाल के उफल्डा में बारिश और सुख समृद्धि के लिए सवा मन का रोट बनाया गया
रोट के एक हिस्से को नागराज को चढाकर बाकी का शेष हिस्सा भक्तो में वितरित कर दिया जाता है सदियो से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाहन करते हुए उफल्डा और उसके आस पास के गाव के लोगो ने नागराजा देवता की पूजा अर्चना की सुबह के 10 बजे से गांव के लोगो द्वारा 40 किलो आटा गुथा गया और इसी के साथ ही मन्दिर परिसर में रोट पकाने के लिए उपले और लडियो में आग लगाई गई लगभग दो घटो तक आटा गूथ कर उसे पकाने के लिए अंगारो पर रख दिया जाता है जिस दौरान रोट को पकाने के लिए रखा गया था उसी दौरान महिलाओ पर माता अवतरित हुई उन्होनो श्रद्वालुओ को आर्शीवाद देते हुए मंगलकानाए दी।
स्थानीय लोगो ने कहा की प्रत्येक तीन साल बाद यह पूजा होती है नागराज को चढाया जाने वाला आटा नए गेहू का होता है मान्यताओ के अनुसार नए अनाज का भोग पहले नागराजा को लगाया जाता है। जिससे क्षेत्र मे सुख सम्पदा बनी रहती है