हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया,
वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया.
आज शहीद अरविन्द सिंह अमर रहे के नारों के बीच जम्मू में तैनात 17 गढ़वाल राइफल के जवान अरविन्द सिंह को रूद्रप्रयाग मंदाकिनी के तट पर अन्तिम विदाई दी गई।
बड़मा पट्टी के स्वाड़ा निवासी 39 वर्षीय अरविंद रावत 17 गढ़वाल राइफल्स में ऊधमपुर जम्मू में तैनात थे। वें साल 2002 में सेना में भर्ती हुए थे। बताया जा रहा है कि गुरूवार को डयूटी के दौरान अचानक स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें मिलिट्री हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहाँ इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। शनिवार को सेना के वाहन द्वारा पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव स्वाड़ा लाया गया। गाँव में उनके 80 वर्षीय पिता कुंवर सिंह रावत और माँ रहती है। पिता लंबे समय से बीमार है और जादा चल फिर नहीं सकते है। तिरंगे में लिपटा शव जैसे ही घर पहुंचा महौल गमगीन हो उठा।
बूढ़ी आँखे नियति के खेल से स्तब्ध थी। शहीद की पत्नी राखी रावत और 8 वर्षीय बेटी आरोही फफकते हुए पिता की देह से लिपट गए। स्वाड़ा गाँव के पाण्डव चौक में शहीद के अंतिम दर्शन करने के बाद परिजन शहीद के शव को पैतृक घाट पर ले गए। यहॉ पुष्प चक्र अर्पित करने के उपरांत सेना के जवानों द्वारा शहीद जवान को अंतिम सलामी देते हुए सेना द्वारा तिरंगे को शहीद के भाई हनुमंत सिंह और राजमोहन सिंह को सौंपा गया। जिसके बाद उनके द्वारा मुखाग्नि दी गई।
शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए यहॉ बड़ी संख्या में बड़मा पट्टी समेत जिले के अन्य हिस्सों से भी लोग पहुॅचे व श्रद्वा सुमन अर्पित की।