श्रीनगर गढ़वाल। चारधामों की रक्षक देवी आखिरकार 9 सालों के लंबे इंतजार के बाद अपने मूल स्थान पर शिफ्ट हो जायेंगी। 28 जनवरी को मूर्ति शिफ्टिंग के लिए मूहर्त तय किया गया है। लेकिन इस बीच कई लोगों के मन में यह संसय भी बना हुआ है कि अगर एकबार फिर माॅ धारी देवी की मूर्ति के साथ छेडछाड़ की गई तो 2013 जैसी प्रलय का सामना लोगों को करना पड़ेगा।
आपको बता दें कि 2013 में आई भीषण आपदा के पीछे का एक बड़ा कारण स्थानीय लोग माॅ धारी देवी की मूर्ति को मूल स्थान से हटाना मानते हैं। 2013 की आपदा के बाद से ही माॅ धारी की मूर्ति अपलिफ्ट कर अस्थाई मंदिर में स्थापित किया गया, लेकिन अब जल विद्युत परियोजना के झील में मूल स्थान के उपर माॅ धारी देवी का नया मंदिर बनकर तैयार है। जिसमें 28 जनवरी को मूर्ति स्थापित किया जाना है। मंदिर के पूजारियों का कहना है कि माॅ धारी देवी को अपने मूल स्थान में विराजमान होने के लिए मनाया जा रहा है। आज से 21 ब्रहाम्णों द्वारा अनुष्ठान शुरू किया गया है। यह अनुश्ठान 28 जनवरी तक यूंही चलता रहेगा। पुजारियों का कहना है कि किसी भी तरह के प्रलय या अन्य अप्रिय घटना इस मूर्ति स्थानांतरित करने के दौरान नहीं होगी। माॅ धारी स्वयं चाहती हैं कि वें अपने मूल स्थान पर विराजमान हो।